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इन कारणों से बच्चे बन जाते है जिद्दी| How to deal with stubborn children.

Parenting Tips – How to deal with stubborn children.

जब बच्चे जिद करते हैं तो हमें समझ नहीं आता हम क्या प्रतिक्रिया दे और हम बच्चों को मारना या तो डांटना शुरू कर देते हैं। जिससे बच्चे और अधिक जिद्दी बन जाते हैं । हमें यह चीज समझनी होगी कि जब बच्चे जिद करते हैं तो उनके पीछे केवल किसी वस्तु को पाने की इच्छा नहीं होती बल्कि यह उनके भावनात्मक इच्छाओं और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है ।

जिद एक प्रक्रिया है हर बच्चे कभी ना कभी जिद करते ही है। खासकर वे बच्चे जो 3 से 6 वर्ष की उम्र के होते हैं, वे अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते। जब वे किसी वस्तु को पाने में असमर्थ महसूस करते हैं तो वे जिद का सहारा लेते हैं। सच बात तो यह है कि जब बच्चों को लगता है कि मेरे रोने से माता पापा मेरी यह जिद पूरी करेंगे, वो चीज मुझे दिलवाएंगे तो यह उनके दिमाग में बैठ जाती है और जब भी किसी चीज को पाने की इच्छा रखते हैं तो वे रोने लगते हैं और जिद पर अड़ जाते हैं ।

इस जनरेशन की सबसे बड़ी प्रॉब्लम क्या हो गई है पता है दोस्तों आज बच्चों के पास विकर्षण और प्रतिलोभन के अनेक साधन मौजूद है -जैसे मोबाइल फोन, विडियो गेम्स जैसे अन्य ऐसे डिजिटल साधन है, जो बच्चों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है । पहले बच्चों का जीवन बहुत साधारण हुआ करता था उन्हें ज्यादा चीजों की आवश्यकता नहीं होती थी। लेकिन अब का लाइफस्टाइल बहुत बदल चुका है।

आजकल के माता-पिता खुद बच्चों को मोबाइल फोन की आदत लगवाते हैं बगैर इसके कि वे अपने बच्चों को टाइम दे, जब उन्हें लगता है कि बच्चे इन चीजों से बहुत अधिक जुड़ गए हैं तो वह उन्हें डांटना तथा मारने लगते हैं लेकिन हमें यह सोचना जरूरी है क्योंकि इसकी आदत हमने लगवाई है तो यह आसानी से नहीं छूटने वाली ।

modifyjeewan.com ब्लोग में हम यह जानेंगे कि आज किसी भी चीज को लेकर बच्चों की जिद क्यों बढ़ रही है और कैसे आप इस स्थिति को अच्छे से संभाल सकते हैं। अपने बच्चों की भावनाओं और मानसिक जरूरतों को समझना हमारे लिए जरूरी है, ताकि हम उन्हें सही मार्गदर्शन दे सकें।

पहले की अपेक्षा आज के बच्चों को बहुत सारी सुविधाएं दी जाने लगी है, जिसके कारण उन्हें इन सब की आदत सी हो गई है । उदाहरण के तौर पर – हमारे समय में हम लोगों के पास अपने मन को बहलाने के लिए मोबाइल फोन, वीडियो गेम्स वगैरह नहीं हुआ करते थे । लेकिन आज के इस दौर में बच्चों के मन को बहलाने के लिए कई ऐसे उपकरण आ गए हैं, जिसके कारण बच्चे उन चीजों से इमोशनली अटैक हो चुके हैं । मोबाइल के कारण बच्चों के अंदर धैर्य की क्षमता में कमी आ गई है।

एक कारण यह भी है बच्चे अपने दोस्तों के पास जो चीज देखते हैं उन्हें पाने की इच्छा हो जाती है और वे यह नहीं समझ पाते कि हमारे पेरेंट्स हमें यह चीज दिला पाने में सक्षम है या नहीं। बच्चों की भावनाओं को समझना बहुत जरूरी होता है । इसलिए जब बच्चे जिद करें तो अपना धैर्य न खोए और उन्हें शांति से समझने की कोशिश करें ।

जब बच्चे जिद करे तो उन्हें समझने की कोशिश करें ना कि गुस्सा और चिल्लाना। अक्सर जब बच्चे ऐसा करते हैं तो माता-पिता अपना धैर्य खो देते हैं और उन्हें मारना शुरू कर देते हैं। उनके ऐसा करने से बच्चे की जिद कम नहीं होती बल्कि वे और अधिक जिद्दी हो जाते है। बच्चों को ऐसा लगने लगता है मेरी भावनाओं का मेरे माता-पिता को कोई कदर नहीं। अपने बच्चों को माता-पिता बेहतर समझते हैं और उनकी परवरिश की जिम्मेदारी उनकी होती है इसलिए उन्हें समझाएं कि तुम अभी बड़े नहीं हो और तुम्हें समय के साथ वे सभी चीजें मिलेगी, जिनकी जिद अभी तुम लगाए बैठे हो ।

Best way to deal with stubborn children

पेरेंट्स को समझना होगा कि अपने बच्चों की जिद (stubborn child) कैसे हैंडल करें। उन्हें अलग-अलग एक्टिविटीज में बिजी रखने की कोशिश करें। अपने बच्चों के मन में ऐसी कोई भी भावनाओं को उत्तेजित होने से रोके जो उन्हें आपके खिलाफ करती है। जब आप अपने बच्चों को डांटते हैं या मारते हैं तो उनके मन में आपके प्रति गुस्सा और घृणा की भावना उत्पन्न हो जाती है जो की बिल्कुल अच्छी बात नहीं है। धैर्य और साहस के साथ आप अपने बच्चों को समझने की कोशिश करें ।

बच्चों की शारीरिक और भावनात्मक जरूरत को पूरा करना एक पेरेंट्स की ड्यूटी होती है। कई बार माता-पिता खुद के काम में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि अपने बच्चों को समय देना उनकी प्रायोरिटी नहीं रहती और बच्चा अपनी ओर पेरेंट्स का ध्यान अट्रैक्ट करने के लिए जिद करता है ।

जब बच्चे किसी चीज के लिए बहुत ज्यादा जिद करते है और आपके सामने रोते हैं तो थोड़ा रोने दीजिए। अगर उस वक्त आप पिघल जाते हैं और अपने बच्चों की जिद पूरी करने के लिए मान जाते हैं तो अगली बार बच्चों को लगेगा कि मेरे रोने से मेरे पेरेंट्स हर बात मान लेते हैं और फिर आपके बच्चे यही कोशिश हर बार करेंगे।म

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अक्सर बच्चे उस वक्त जिद करते हैं जब भी खाली होते हैं और उन्हें समझ नहीं आता कि वह क्या करें । जब भी अपने आसपास या किसी और बच्चे के पास कुछ ऐसी चीज देख लेते हैं जिसे पाने की इच्छा उन्हें भी होती है तो वह जिद करने लगते हैं ।अपने बच्चों को ऐसी एक्टिविटीज में व्यस्त रखें जिससे उनका ध्यान किसी और चीज की और न जाए। उदाहरण के तौर पर आप अपने बच्चों को समय दीजिए उनके साथ के लिए मस्ती कीजिए ।

आजकल बच्चे की एक्टिविटीज के लिए बहुत से ऐसे Options हैं जो बच्चे की भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बेहतर हो सकती है।
Example –

शारीरिक खेल (Physical Games)
जैसे क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबॉल, या दौड़ना।

आर्ट और क्राफ्ट (Art and Craft)
पेंटिंग, रंगोली बनाना, कागज से सामान बनाना, आदि।

पुस्तकें (Books)
बच्चों की कहानियाँ, कॉमिक्स

संगीत (Music)
संगीत सीखना, गाना गाना, या वाद्य यंत्र बजाना।

डांस (Dance)
विभिन्न डांस फॉर्म्स सीखना और मस्ती के लिए डांस करना।

बगीचे में काम करना (Gardening)
पौधे लगाना, देखभाल करना, और प्रकृति के साथ जुड़ना।

खेल गतिविधियाँ (Outdoor Activities)
नेचर वॉक, पिकनिक, या कैंपिंग।

वर्तमान समय में बच्चे ऐसी डिजिटल दुनिया में घुल मिल गए हैं । उन्हें मोबाइल, वीडियो गेम्स, इंटरनेट और अन्य तरह की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर माता-पिता से ज्यादा अनुभव है । जो की दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। इन तकनीकी वस्तुओं के उपयोग से बच्चों के धैर्य और बुद्धि में कमी आ रही है। जब उन्हें कोई भी चीज जल्दी नहीं मिलती तो वह जिद करने लगते हैं।

गहराई में समझे –
डिजिटल युग में बच्चों को ऐसी चीजों की लत लग चुकी है जो कि उनकी आने वाले भविष्य के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। मेरा मानना है कि बच्चों के डिजिटल उपकरणों के प्रयोग को सीमित कर दिया जाए और उन्हें अधिक से अधिक शारीरिक, सामाजिक और मानसिक गतिविधियों पर शामिल किया जाए। समय-समय पर आधुनिक चीजों और डिजिटल उपकरणों पर ब्रेक देने दे और उन्हें बाहर खेलने किताबें पढ़ने और अन्य एक्टिविटीज करने के लिए प्रेरित करें।

कई बार ऐसा होता है की माता-पिता अपने बच्चों को समय नहीं देते हैं और उनसे बातचीत नहीं करते हैं। उनकी जरूरत को पूरा करने के बाद उन्हें टाइम नहीं देते हैं जिससे बच्चों के मन में या बैठ जाता है कि अगर वे जिद नहीं करेंगे तो माता-पिता उनसे ना बातचीत करेंगे और ना उन्हें वह चीज दिलवाएंगे ।

समाधान
बच्चों के साथ बैठकर बातें कीजिए उनके साथ एक्टिविटीज कीजिए। उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत कीजिए उन्हें महसूस होगा उनकी बातें सुनी जा रही है, भावनाओं को समझा जा रहा है।

जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उनमें स्वतंत्रता की भावना उत्पन्न होने लगती है, वे अपनी पसंद पर आधारित चीज करना पसंद करते हैं और खुद निर्णय लेना चाहते हैं जब उनकी स्वतंत्रता को रोका जाता है तो वह विरोध के रूप में जिद करने लगते हैं ।

समाधान
अगर माता-पिता हर उस एक्टिविटीज पर सख्त नियंत्रण रखते हैं जो उनकी स्वतंत्रता की भावना को दबा देता है तो इससे बच्चों में जिद उत्पन्न होता है और यह संघर्ष का रूप ले ले सकता है। बच्चों को छोटे-छोटे निर्णय लेने का मौका दें, उन्हें उनकी जिम्मेदारियां का बोध होगा। जब उन्हें आप विकल्प देंगे तो उन्हें भी लगेगा कि वे स्वतंत्र रूप से अपने निर्णय लेने में सक्षम है जिससे उनमें जिद कम होगा ।

बच्चों को उनकी भावनाओं और शब्दों को व्यक्त करने का मौका दें खासकर छोटी बच्ची जब भी अपने गुस्से को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पाते तू भी जिद का सहारा लेते हैं और उन्हें लगता है कि जब मैं किसी चीज के लिए जिद करूंगा तो मेरी आवश्यकता है पूरी होगी

समाधान
बच्चों को समझने की कोशिश करें, उनके साथ खुलकर बातचीत करें उन्हें ऐसा ना लगे दे कि आप उन पर ध्यान नहीं देते। आप उनकी बातें समझने की कोशिश करे , इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ेगा और वह जिद्दी होने की बजाय अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त कर पाएंगे जिससे उनकी मानसिक स्थिति बेहतर होगी।

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बच्चों का जिद्दी होना स्वाभाविक है लेकिन माता-पिता का यह कर्तव्य बनता है कि वे इस स्थिति को कैसे हैंडल करते हैं। बच्चों की जिद्दीपन के कई कारण होते हैं जिसे समझना पेरेंट्स की ड्यूटी होती है । कभी-कभी जब बच्चों के साथ कोई खेलने वाला साथी नहीं होता और वे अकेले हो जाते हैं। इस समय भी वे किसी भी चीज के लिए जिद कर सकते हैं ।

ऐसे में आप अपने बच्चों को टाइम दे, अपने बच्चों के दोस्त बनकर रहे। जिससे उनकी मानसिक स्थिति भी बेहतर होगी और यह सोच कर चले कि बच्चे जिद नहीं करेंगे तो क्या बड़े करेंगे। यही समय होता है जब बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाते और जिद का सहारा लेते हैं। इसलिए माता-पिता को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास करना होगा और धैर्य के साथ इस समय को हैंडल करना है ।

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